1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, भारतीय वायु सेना को उच्च तुंगता वाली चौकियों से दुश्मन को खदेड़ने की विशिष्ट जिम्मेदारी सौंपी गई।
संघर्ष के दौरान ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर एक पायलट थे। उस समय वह एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे और मिराज 2000 उड़ा रहे थे।
मिराज 2000 को कार्रवाई पर लगाया गया क्योंकि वह एकमात्र वायुयान था जो कि लगभग 33000 फीट (लगभग 10 किमी) की ऊंचाई पर हथियार पहुंचा सकता था और सटीकता के साथ हथियार पहुंचाते हुए भी सामने से दागी गई सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से पायलट को सुरक्षित रख सकता है।
सफेद सागर ऑपरेशन के दौरान, भा वा से ने ऐसी ऊचाइयों पर कुल 7831 सॉर्टी और 578 हवाई हमले किए जिनका पहले कभी परीक्षण नही किया गया था।
ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर ने 24 मिशन में उड़ान भरी जिसमें से आठ प्रत्यक्ष बमबारी वाले मिशन थे। वह अपने शुरुआती वर्षों में उन्हें निखारने और यह सिखाने के लिए कि कैसे और कब ऑपरेशन किए जाते हैं के संबंध में अपनी उपलब्धियों का श्रेय भारतीय वायु सेना और देश के लिए सेवाएं देने के लिए कहा गया।
कारगिल युद्ध के दौरान उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें वायु सेना मेडल से सम्मामित किया गया।